Sunday, August 25, 2013

दिल के तारों को न छेड़ो साज़ वो काफी पुराना है


दिल के तारों को न छेड़ो साज़ वो काफी पुराना है
जो हमसे तुम पूछ रहे हो राज़ वो काफी पुराना है

दो लफ़्ज़ों की बात थी लेकिन जाने कितना बोल गए
उनके आगे भूल गए जो अलफ़ाज़ वो काफी पुराना है

बात न करना या यूँ करना के जैसे कोई बात नहीं
जुल्फों में ऊँगली उलझाना अंदाज़ को काफी पुराना है

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ऐसे भी तो दिन आयेंगे

 ऐसे भी तो दिन आयेंगे, बिलकुल तनहा कर जाएँगे रोयेंगे हम गिर जाएँगे, ख़ामोशी में पछतायेंगे याद करेंगे बीती बातें ख़ुशियों के दिन  हँसती रातें...