Monday, May 28, 2012

बातों में उसकी, जादूगरी थी


बातों में उसकी, जादूगरी थी
वो मेहज़बीं एक, कमसिन परी थी 

बालों में गज़रे, होटों पे लाली 
चन्दन से तन पे, साड़ी हरी थी 

पहला वो दिन था, पहली शरारत
दिल डोलता था, धड़कन डरी थी

चाहा बहुत पर, कुछ कह ना पाया 
कहने की लेकिन, कोशिश करी थी

कैसा वो दिन था, वो सामने थी
जैसे हथेली पे, किस्मत धरी थी

छूकर के जिसने, दिल की कलम में 
गजलों की खातिर, स्याही भरी थी 

दिल भूल जा अब, उसके 
फ़साने 
नादान तूने, गलती करी थी 

-ckh-

2 comments:

ANULATA RAJ NAIR said...

जाना था उसको सो बातें बनायीं
समझे हम उसकी बातें खरी थी......

:-)

हमारे कमेन्ट स्पैम में चले जाते है शायद ....प्लीस देख लें........

अनु

chakresh singh said...

अनु जी वाकई comments spam काफी में पड़े थें. माफ़ी चाहूँगा.
बहुत धन्यवाद मुझे पढने और हौसला बढाने के लिए


-ckh-

ऐसे भी तो दिन आयेंगे

 ऐसे भी तो दिन आयेंगे, बिलकुल तनहा कर जाएँगे रोयेंगे हम गिर जाएँगे, ख़ामोशी में पछतायेंगे याद करेंगे बीती बातें ख़ुशियों के दिन  हँसती रातें...