अच्छा होना समस्या है, गलती नहीं
भीड़ में अकेला महसूस करना मजबूरी है
कमजोरी नहीं
जो हम रुसवा हुए बस्ती बस्ती
कौन कहता है के इज्ज़त हार आये हैं?
के लोगों की बातें दिल-ऐ-शहंशाह को कब हरा पायी हैं
अंतिम दिन जीवन के यदि ये
पीर हृदय की रह जाए
के दौड़-धूप में बीत गए पल
प्रियतम से कुछ ना कह पाएँ
ऐसे भी तो दिन आयेंगे, बिलकुल तनहा कर जाएँगे रोयेंगे हम गिर जाएँगे, ख़ामोशी में पछतायेंगे याद करेंगे बीती बातें ख़ुशियों के दिन हँसती रातें...
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