Monday, October 3, 2011

अफसुर्दा दिलों को नवा क्या है

अफसुर्दा दिलों को नवा क्या है ?
ज़हर बदलो के दवा क्या है ?

सुवैदा दामन मेरा मगर वाइज़
हुकूमत-ऐ-खुदा को हुआ क्या है ?

जो मैं आखिरी नींद प्यासी सोऊँ
तो उम्र बयाबाँ के सिवा क्या है ?

तमाम शहर से रस्म-ओ-राह नहीं
इक वो रूठें तो गिला क्या है ?

चंद लोगों को जो था अपना माना
सिवाए चोट के हमको मिला क्या है ?

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ऐसे भी तो दिन आयेंगे

 ऐसे भी तो दिन आयेंगे, बिलकुल तनहा कर जाएँगे रोयेंगे हम गिर जाएँगे, ख़ामोशी में पछतायेंगे याद करेंगे बीती बातें ख़ुशियों के दिन  हँसती रातें...