Sunday, January 30, 2011

ढाई सौ ग्राम सपने

ढाई सौ ग्राम सपने

आधा दर्जन सवालों के साथ

दीवार पर गड़ी खूँटी से लटका गया था कल

आज जा कर देखा तो

मीठे सपनों में चींटियाँ लगी हुई थीं

और सवालों में घुन |

1 comment:

shephali said...

fir ek baar nishabd kar diya aapki rachna ne

ऐसे भी तो दिन आयेंगे

 ऐसे भी तो दिन आयेंगे, बिलकुल तनहा कर जाएँगे रोयेंगे हम गिर जाएँगे, ख़ामोशी में पछतायेंगे याद करेंगे बीती बातें ख़ुशियों के दिन  हँसती रातें...